*यदि ये बालिका इस्लाम मजहब की होती तो केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक इसे छात्रवृत्तियाँ देती, ड्रेस, पाठ्यसामग्री, फीस किसी बात की चिंता नहीं रहती और इसके साथ ऐसा नहीं होता...*

*लेकिन इस बेटी का दुर्भाग्य था कि ये बेटी किसी मुसलमान के घर पर जन्म लेने के बजाय सामान्य जाति के एक गरीब हिन्दू के घर में जन्म ले ली और अच्छी शिक्षा प्राप्त करने की जिद की, परिणाम स्वरूप धन के अभाव में अपमानित होकर आत्महत्या करने को विवश हो गयी...*
*आखिर हिन्दू बेटियों को कौन समझाये कि भारत का संविधान भले ही समानता की बातें करता हो, लेकिन सच यही है कि देश के संशाधनों पर पहला अधिकार मुस्लिम बेटियों का हैं, केन्द्र सरकार की बेगम हजरत महल छात्रवृत्ति योजना केवल अहिन्दू छात्राओं (मुस्लिम, सिक्ख, जैन, बौद्ध, पारसी इत्यादि) को दी जाती हैं, और शादी शगुण योजना तो पूर्णत: मुस्लिम बेटियों के लिए संचालित हैं, इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए हिन्दू बेटियाँ अपात्र हैं...?*

राष्ट्रीय सनातन पार्टी