अप्रत्यक्ष लोकतंत्र से प्रत्यक्ष लोकतंत्र की ओर



लोकतंत्र सरकार का वह रूप है जिसमें सर्वोच्च सत्ता लोगों के हाथों में होती है। एक लोकतांत्रिक देश मेंप्रत्येक नागरिक के पास एक वोट होता हैजिसे सरकार की नीति के पक्ष में या उसके विपक्ष में वोट दिया जा सकता है। इसके अतिरिक्तलोकतंत्र मेंनागरिकों की प्रतिक्रिया सरकार की नींव के रूप में कार्य करती है। यह प्रत्यक्ष लोकतंत्र या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र के रूप में हो सकता है। 

 

प्रत्यक्ष लोकतंत्र (Direct Democracy) जिसे शुद्ध लोकतंत्र या सहभागी लोकतंत्र भी कहा जाता हैउस प्रणाली को संदर्भित करता है जिसमें नागरिकों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार होता है। वहां पर सारे छोटे बड़े निर्णय जैसे कोई बिल पास करानाबजट पास करानासंविधान में संशोधनकोई नया कानून बनाना आदि जनता द्वारा ही लिए जाते हैं। इसके लिए जनमत कराया जाता है जिसे अंग्रेजी में रेफरेंडम के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में प्रत्यक्ष लोकतंत्र स्विट्जरलैंड में देखा जा सकता है। जहां पर जनता मत द्वारा नियम कानून में संशोधन करती हैबजट पास करती है इत्यादि।

 

इसके विपरीतअप्रत्यक्ष लोकतंत्र (Indirect Democracy) में सारे निर्णय जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि करते हैं। अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में बार-बार चुनाव रेफरेंडम नहीं कराना पडता बस एक निश्चित अवधि के बाद ही चुनाव होते हैं। इस प्रकार के लोकतंत्र में प्रतिनिधि चुने जाने के बाद जनता के प्रति उनका दायित्व समाप्त हो जाता है। इस प्रकार का लोकतंत्र भारत जैसे देशों में देखा जा सकता है। इस अप्रत्यक्ष लोकतंत्र का सबसे बडा दोष यही हैं कि एकबार प्रतिनिधि चुन लिए गए राजनेता अपनी स्वेच्छा से कानून बनाकर देश की जनता पर आरोपित कर देते हैं।

 

सत्ता-हस्तांतरण के पूर्व से ही भारत में लोकतंत्र के नाम पर लूटतंत्र चल रहा हैं- पहले गोरे अंग्रेज लूटते थे, अब काले अंग्रेज लूटते हैं। देश के विधान में विदेशी आक्रांताओं व लुटेरों की संस्कृति इस्लाम, ईसाईं इत्यादि मतों मजहबों को विशेष संरक्षण दे दिया गया, जबकि देश के बहुसंख्यक हिंदुओं से इस विषय में कोई मत कभी नहीं माँगा गया, और न ही बहुसंख्यक हिन्दू समाज ने उनकों ऐसा करने के लिए कभी कहा था। इसके साथ ही अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में बहुसंख्यक हिन्दू समाज के धार्मिक अधिकारों को सीमित कर दिया गया। समाज को सामान्य, पिछड़े, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व आदिवासी के वर्गों की गहरी खाई खोदकर तथा हजारों जातियों में बांटकर निर्बल कर दिया गया।


गौहत्यारों का वध करके राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा करने वाले बहुसंख्यक समाज के वीरों का सार्वजनिक अभिनंदन करने के स्थान पर उन्हें गौरक्षक गुण्डे कहकर अपमानित व दण्डित किया जाता हैं, जबकि गौमाता भारतीय सनातन संस्कृति के प्राण हैं। हिन्दुओं की धार्मिक शिक्षा को प्रतिबंधित किया गया हैं। हिन्दुओं की प्राचीन न्याय व्यवस्था को अमान्य कर दिया गया हैं। हिन्दू मंदिरों का धन गरीब हिन्दुओं के उत्थान में न लगाकर, विधर्मियों के हित में लगाया जा रहा हैं। इनके अतिरिक्त भी बहुत कुछ अन्याय देश के बहुसंख्यक समाज के साथ किया जा रहा हैं।


अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में किसी भी तरह से एकबार चुनाव जीतने के बाद राजनेता स्वयं को भगवान समझने लगते हैं, मन मर्जी के कानून बनाकर देश की जनता पर आरोपित कर देते हैं। जबकि देश की जनता ने ऐसा करने की कोई मांग नहीं की होती। अब नए कृषि कानूनों को ही ले लीजिए, व्यापारिक समूहों के निर्देश पर सरकार ने कानून बना दिये। यदि प्रत्यक्ष लोकतंत्र होता तो किसानों से पूछा जाता कि क्या वे इस तरह के कानून को बनवाना चाहते हैं ? वोटिंग होती। किसान यदि अस्वीकार कर देते, तो यह विषय समाप्त हो जाता और यदि समर्थन में अधिक मत मिलते, तो इस विषय में कोई प्रगति हुई होती। क्योंकि सरकार केवल प्रबन्धन के लिए रखी जाती है। सरकार देश की भाग्य विधाता नहीं होती। लेकिन इस अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में तो पांच वर्ष ये लोग भाग्य विधाता की तरह ही कार्य करते हैं, अब तो समलैंगिक व्यभिचार व अवैध संबंधों को भी वैधानिक किया जा चूका हैं। ऐसे- ऐसे कानून बना दिए गए हैं, जो समाज की मर्यादा के प्रतिकूल हैं। साथ ही देश के साथ गद्दारी करने वाले नेताओं को देश के नायक घोषित करके उनको महिमामंडित किया जा रहा हैं।


यदि प्रत्यक्ष लोकतंत्र होता तो ऐसा अन्याय किया जाना कदापि संभव नहीं होता। राष्ट्रीय सनातन पार्टी अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को प्रत्यक्ष लोकतंत्र में बदलने के लिए कृतसंकल्प हैं। प्रत्यक्ष लोकतंत्र में सरकार की नीतियोंकानूनों और अन्य मुद्दों से संबंधित निर्णय जनता द्वारा लिए जाते हैं। जागरूक भारतीय नागरिक आगे आये, राष्ट्रीय सनातन पार्टी से जुड़े, दायित्व लें और तन, मन, धन लगाकर व्यवस्था परिवर्तन के इस आन्दोलन को जन आन्दोलन का रूप दें

विश्वजीत सिंह अनंत

राष्ट्रीय अध्यक्ष

राष्ट्रीय सनातन पार्टी